
भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की नींव तो नहीं, पर नींद जरूर उड़ा दी है। नौ आतंकी ठिकानों की तबाही के बाद पाकिस्तान का पारा सातवें आसमान पर है, लेकिन ताकत ज़मीन पर ही बैठी है। और अब, जब जवाबी कार्रवाई में मुंह की खानी पड़ी, तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ मदद की आस में निकल पड़े हैं – वो भी सीधे चार देशों की यात्रा पर!
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“कूटनीति नहीं, कूटमार के बाद की कूटनीति!”
पाकिस्तान की विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि 25 से 30 मई के बीच शरीफ साहब ईरान, तुर्किये, अजरबैजान और ताजिकिस्तान जाएंगे। उद्देश्य?
भारत से पिटने के बाद अब “हमें कोई तो बचा लो” अभियान!
शहबाज शरीफ का पूरा टूर प्लान:
| तारीख | देश | एजेंडा |
|---|---|---|
| 25 मई | ईरान | भारत से ‘न्याय’ की अपील, द्विपक्षीय लंगर वार्ता |
| 27 मई | तुर्किये | क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा और “हम निर्दोष हैं” वाला राग |
| 28 मई | अजरबैजान | व्यापार और तेल से पहले “तेल-तेल” करना |
| 29-30 मई | ताजिकिस्तान | ग्लेशियर सम्मेलन में “आंसू जम गए हैं” जैसी भावुकता |
जिस रफ्तार से पाकिस्तान अब दौड़-भाग में लगा है, ऐसा लगता है जैसे विदेशी समर्थन मिलते ही भारत की सीमा पर “रेफरल चिट्ठी” लहराई जाएगी।
“देखो-देखो, हमें तुर्किये ने शाबाशी दी है!”
“ईरान ने हमारी पीठ थपथपाई!”
“ताजिकिस्तान ने कहा तुम बहादुर हो!”

शायद शरीफ साहब को अब एक यात्रा व्लॉग चैनल शुरू कर देना चाहिए – “पिटने के बाद पासपोर्ट यात्रा”।
भारत का रुख साफ:
भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद का जवाब अब सिर्फ बयान नहीं, सीधी कार्रवाई होगी। और पाकिस्तान की हर हिमाकत का जवाब उसकी भाषा में मिलेगा।
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जब हथियार नहीं चले तो अब मुंह से माफी और विदेशों से सहारा खोजने की कवायद चल रही है। शहबाज शरीफ की यह चार देशों की यात्रा भले ही कूटनीति के लिबास में लिपटी हो, लेकिन असल में यह राजनयिक रो-रोकर राहत अभियान है। भारत की सख्ती के आगे पाकिस्तान की यह कूटनीतिक दौड़ एक हास्यपद प्रयास से ज़्यादा कुछ नहीं लगती।
